- 40B, First Floor, DDA Flats, Shahpurjat, Delhi - 110049
- +91 7290042227
- info@ssbf.co.in
#maadurga #durgasaptshtipaath #durga108naam
श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्माँ | दुर्गा के 108 चमत्कारी नाम | Maa Durga ji ke 108 naam
यहाँ पर भगवान शिव माँ पार्वती को अम्बे माँ के 108 नाम बताते है, जिनके नाम लेने मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।
शंकरजी पार्वती जी से कहते हैं – कमलानने ! अब मैं अष्टोत्तरशतनामका वर्णन करता हूँ, सुनो; जिसके प्रसाद (पाठ या श्रवण ) – मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं |
माँ दुर्गा के 108 नाम
१- ॐ सती,
२ – साध्वी,
३ – भवप्रीता (भगवान् शिवपर प्रीति रखनेवाली),
४ – भवानी,
५ – भवमोचनी (संसारबन्धनसे मुक्त करनेवाली),
६ – आर्या,
७ – दुर्गा,
८ – जया,
९ – आद्या,
१० – त्रिनेत्रा,
११ – शूलधारिणी,
१२ – पिनाकधारिणी,
१३ – चित्रा,
१४ – चण्डघण्टा (प्रचण्ड स्वरसे घण्टानाद करनेवाली),
१५ – महातपा (भारी तपस्या करनेवाली),
१६ – मन (मननशक्ति),
१७ – बुद्धि (बोधशक्ति),
१८ – अहंकारा (अहंताका आश्रय),
१९- चित्तरूपा,
२० – चिता,
२१ – चिति (चेतना),
२२ – सर्वमन्त्रमयी,
२३ – सत्ता (सत्-स्वरूपा),
२४ – सत्यानन्दस्वरूपिणी, (जिनके
२५ – अनन्ता स्वरूपका कहीं अन्त नहीं),
२६ – भाविनी (सबको उत्पन्न करनेवाली),
२७ – भाव्या (भावना एवं ध्यान करनेयोग्य),
२८ – भव्या (कल्याणरूपा),
२९ – अभव्या (जिससे बढ़कर भव्य कहीं है नहीं),
३० – सदागति,
३१ – शाम्भवी (शिवप्रिया),
३२ – देवमाता,
३३ – चिन्ता,
३४ – रत्नप्रिया,
३५ – सर्वविद्या,
३६ – दक्षकन्या,
३७ – दक्षयज्ञविनाशिनी,
३८- अपर्णा (तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली),
३९ – अनेकवर्णा (अनेक रंगों वाली),
४० – पाटला (लाल रंगवाली),
४१ – पाटलावती (गुलाब के फूल या लाल फूल धारण करने वाली),
४२ – पट्टाम्बरपरीधाना ( रेशमी वस्त्र पहननेवाली),
४३ – कलमंजीररंजिनी (मधुर ध्वनि करनेवाले मंजीरको धारण करके प्रसन्न रहनेवाली),
४४ -अमेयविक्रमा (असीम पराक्रमवाली),
४५ – क्रूरा (दैत्यों के प्रति कठोर),
४६ – सुन्दरी,
४७ – सुरसुन्दरी,
४८ – वनदुर्गा,
४९ – मातंगी,
५० – मतंगमुनिपूजिता,
५१ – ब्राह्मी,
५२ – माहेश्वरी,
५३ – ऐन्द्री,
५४ – कौमारी,
५५ – वैष्णवी,
५६ – चामुण्डा,
५७ – वाराही,
५८ – लक्ष्मी,
५९ – पुरुषाकृति,
६०-विमला,
६१-उत्कर्षिणी,
६२ – ज्ञाना,
६३ – क्रिया,
६४ – नित्या,
६५ – बुद्धिदा,
६६ – बहुला,
६७ – बहुलप्रेमा,
६८- सर्ववाहनवाहना,
६९- निशुम्भ-शुम्भहननी,
७०-महिषासुरमर्दिनी,
७१ – मधुकैटभहन्त्री,
७२ – चण्डमुण्डविनाशिनी,
७३ – सर्वासुरविनाशा,
७४ – सर्वदानवघातिनी,
७५ – सर्वशास्त्रमयी,
७६ – सत्या,
७७-सर्वास्त्रधारिणी,
७८- अनेकशस्त्रहस्ता,
७९ – अनेकास्त्रधारिणी,
८० – कुमारी,
८१ – एककन्या,
८२ – कैशोरी,
८३ – युवती,
८४ – यति,
८५ – अप्रौढा,
८६ – प्रौढा,
८७-वृद्धमाता,
८८-बलप्रदा,
८९ – महोदरी,
९० – मुक्तकेशी,
९१ – घोररूपा,
९२ – महाबला,
९३ – अग्निज्वाला,
९४ – रौद्रमुखी,
९५ – कालरात्रि,
९६ – तपस्विनी,
९७-नारायणी,
९८-भद्रकाली,
९९ – विष्णुमाया,
१०० – जलोदरी,
१०१ – शिवदूती,
१०२ – कराली,
१०३ – अनन्ता (विनाशरहिता),
१०४ – परमेश्वरी,
१०५ – कात्यायनी,
१०६ – सावित्री,
१०७ – प्रत्यक्षा,
१०८ – ब्रह्मवादिनी ॥
देवी पार्वती! जो प्रतिदिन दुर्गा जी के इस अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करता है, उसके लिये तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य नहीं है ॥
वह धन, धान्य, पुत्र, स्त्री, घोड़ा, हाथी, धर्म आदि चार पुरुषार्थ तथा अन्त में सनातन मुक्ति भी प्राप्त कर लेता है॥
कुमारी का पूजन और देवी सुरेश्वरी का ध्यान करके पराभक्ति के साथ उनका पूजन करे, फिर अष्टोत्तरशतपाठ आरम्भ करे ॥
देवि ! जो ऐसा करता है, उसे सब श्रेष्ठ देवताओं से भी सिद्धि प्राप्त होती है। राजा उसके दास हो जाते हैं। वह राज्य लक्ष्मी प्राप्त कर लेता है ॥
गोरोचन, लाक्षा, कुंकुम, सिन्दूर, , घी (अथवा दूध), चीनी और मधु — इन वस्तुओं को एकत्र करके इनसे विधि पूर्वक यन्त्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्र को धारण करता है, वह शिव के तुल्य (मोक्षरूप) हो जाता है ॥
भौमवती अमावास्या की आधी रात में, जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हों, उस समय इस स्तोत्र को लिखकर जो इसका पाठ करता है, वह सम्पत्तिशाली होता है ॥
—————————————————————————————————-
Subscribe to our other Spiritual channels :-
Sai Ki Mahima With Aushim Khetarpal
@saikimahimawithaushimkhetarpal
Spirituality With Aushim Khetarpal
@spiritualitywithaushimkhet6141
Aushim Khetarpal Official
@aushimkhetarpalofficial
Sai Sandesh by Aushim Khetarpal
@saisandeshbyaushimkhetarpa507
—————————————————————————————————-
Please Share Your contact No for Free consultation – 7290042224